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मेरी हार देश की जय हो ।

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मैं अशोक कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- बगरूखंड विस्तारक आज दिनांक 28-08-19 को प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं आजन्म माँ भारती की सेवा करूंगा। यह मेरी मातृभूमि हे और मैं इसका पुत्र हिंदू हूं । यह मेरा शरीर नही हे ,स्वयं को राष्ट्र कार्य के लिये तिल-तिल कर आहूत कर दूंगा । मेरी एक ही अभिलाष हे कि मेरा प्रत्येक जन्म इस पुण्यभूमि, कर्मभूमि , इस पवित्र देवभूमि भारतभूमि पर जन्म हो । इस हिंदूभूमि के रजकणों से पुनीत होना चाहता हूं । संघ कार्य ईश्वरीय कार्य हे , मैं भी इस ईश्वरीय कार्य मे स्वंय को खपाना चाहता हूं । आज मैं समाज मैं जो कुछ भी हूं , अपने गुरु परम पवित्र भगवा ध्वज के दैव से हूं । गुरु के आशीर्वाद के बिना मैं अकिंचन हूं । मेरी हार देश की जय हो, यही भाव अपने अन्तःकरण मे स्थापित करके मैं आजन्म ब्र्ह्मचर्य पालन  करने का व्रत लेता हूं । आज का दिन मेरे जीवन का स्वर्णिम नवजीवन हे ।                               '  त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्् '                  ...

मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह हे जयगान की ।

मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह हे जयगान की । मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह न यशगान की । मैं पूजा का पुष्प हू आराध्य माता भारती । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥ परम मंगलवत्सला माँ, गोद मे जिसकी पला मैं-2 जिस धरा के अन्न-जल, से नित्यप्रतिपल हूं बढ़ा मैं । प्राणदीप से मैं उतारू-2 उस धरा की आरती ...। । मैं स्वयंसेवक मुझे ...॥ धर्मपथ पे मैं चला हूं , अटल यह विश्वास मेरा -2 सुजन रक्षण असुर मर्दन श्रेष्ठ जीवन कार्य मेरा । धर्म हित महायुद्ध को हे-2 माँ मुझे ललकारती । । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥ अग्निपथ पर मैं चला हूं, छोड़ सुखमय मार्ग जग का-2 कण्टको से पूर्ण पथ पर नित्य हे स्वीकार चलना श्रेष्ठतम बलिदान की-2 हे मातृभू अधिकारी । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥ ना रहे कुछ भिन्नता अब बन सकूं मैं अंश तेरा-2 बिंदुबनकर संघसरिता कर सकूं अभिषेक तेरा । तव चरण पर वन्दना-2 स्वीकार हे माँ भारती । । मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह हे जयगान की । मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह ना यशगान की । मैं पूजा का पुष्प हूं, आराध्य माता भारती । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥