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Showing posts from May, 2021

ASHOK MAHAWAR

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                  ''ईशावास्यमिदं सर्वं' ASHOK MAHAWAR रविवार-23-05-2021 मम निकेतन:

ASHOK-KHUSH

दुनिया चले ना श्री राम के बिना। राम जी चले ना हनुमान के बिना।। --हनुमान का अर्थ- हनुमान का एक अर्थ है निरहंकारी या अभिमानरहित। हनु का मतलब हनन करना और मान का मतलब अहंकार। अर्थात जिसने अपने अहंकार का हनन कर लिया हो। यह सभी को पता है कि हनुमानजी को कोई अभिमान नहीं था। वे विनम्रता के पर्याय हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि हनु यानि ठोड़ी कटी हुई होने के कारण ही ये हनुमान कहलाए। हनुमानजी पहाड़ जैसी भारी भरकम चीजें भी आसानी से उठा लेते थे। उनके गुण आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। हम उनसे प्रेरणा लेकर अपना व्यक्तित्व निखार सकते हैं। हनुमान अपने शरीर को अत्यंत छोटा और बड़ा कर लेते थे। हनुमान महाचमत्कारी थे। ऐसी शक्ति आज के साइंटिस्ट भी खोज नहीं सके हैं। हनुमान के वैज्ञानिक होने की बात श्रीरामचरितमानस में भी है। वन्दे विशुद्घविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥ -(रामचरितमानस १/४ मंगलाचरण। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ। हनुमान राम जी  श्री  राम जी के परं  भक्त एव शाखा थे । शक्ति और भक्ति के अनुपम दृष्टांत है ।  उन्होने सदैव ब्रह्मचर्य धर्म का पालन किया । हनुमान चालीसा...

जय जय है भगवती सुर भारती-अशोक कुमार

जय जय हे भगवती जय जय हे भगवती जय जय हे भगवती सुरभारती तव चरण प्रणामः । नादब्रह्ममयी जय वागीश्वरि शरणं ते गच्छमाः त्वमसि शरण्या त्रिभुवनधन्य सुर-मुनि-वन्दित-चरणना नर्वसधुरा कवितामुखरा स्मित-रुचि-रुचिराभरना आने भव मान सहंसे कुन्द-तुहिन-शशि-धवले हरजदं कुरु विकासंविकास सीत-पंकज-तनु-विमले ललितकलामयी ज्ञानविभामयी वीणा-बुक-धारिणी मतिरस्तां नो तवमले अयि कुण्ठाविषहारिणी 20-05-2021 मम गृहे अस्मि।

अशोक महावर

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     Rama  gave up his body an joined Sita in the other world. “Where there is  Rama , there is no Kama; where there is Kama, there  Rama  is not. Night and day can never exist together.” The voice of the ancient sages proclaim to us, “If you desire to attain God, you will have to renounce Kâma-Kânchana (lust and possession). 20-05-2021 At home

ASHOK MAHAWAR

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                    काम तो आँखो से हुआ ।                   तो काजल क्यों बदनाम हुआ ॥

ASHOKKOHALI

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जीवन के कुसुमित उपवन में गुंजित मधुमय कण-कण होगा शैशव के कुछ सपने होंगे मदमाता-सा यौवन होगा यौवन की उच्छृंखलता में पथ भूल न जाना पथिक कहीं। पथ में काँटे तो होंगे ही दूर्वादल, सरिता, सर होंगे सुंदर गिरि, वन, वापी होंगी सुंदर सुंदर निर्झर होंगे सुंदरता की मृगतृष्णा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! मधुवेला की मादकता से कितने ही मन उन्मन होंगे पलकों के अंचल में लिपटे अलसाए से लोचन होंगे नयनों की सुघड़ सरलता में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! साक़ीबाला के अधरों पर कितने ही मधुर अधर होंगे प्रत्येक हृदय के कंपन पर रुनझुन-रुनझुन नूपुर होंगे पग पायल की झनकारों में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! यौवन के अल्हड़ वेगों में बनता मिटता छिन-छिन होगा माधुर्य्य सरसता देख-देख भूखा प्यासा तन-मन होगा क्षण भर की क्षुधा पिपासा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! जब विरही के आँगन में घिर सावन घन कड़क रहे होंगे जब मिलन-प्रतीक्षा में बैठे दृढ़ युगभुज फड़क रहे होंगे तब प्रथम-मिलन उत्कंठा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! जब मृदुल हथेली गुंफन कर भुज वल्लरियाँ बन जाएँगी जब नव-कलिका-सी अधर पँखुरियाँ भी संपुट कर जाएँगी तब मधु की मद...

ASHOKKOHALI

ASHOKKOHALI जीवन के कुसुमित उपवन में गुंजित मधुमय कण-कण होगा शैशव के कुछ सपने होंगे मदमाता-सा यौवन होगा यौवन की उच्छृंखलता में पथ भूल न जाना पथिक कहीं। पथ में काँटे तो होंगे ही दूर्वादल, सरिता, सर होंगे सुंदर गिरि, वन, वापी होंगी सुंदर सुंदर निर्झर होंगे सुंदरता की मृगतृष्णा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! मधुवेला की मादकता से कितने ही मन उन्मन होंगे पलकों के अंचल में लिपटे अलसाए से लोचन होंगे नयनों की सुघड़ सरलता में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! साक़ीबाला के अधरों पर कितने ही मधुर अधर होंगे प्रत्येक हृदय के कंपन पर रुनझुन-रुनझुन नूपुर होंगे पग पायल की झनकारों में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! यौवन के अल्हड़ वेगों में बनता मिटता छिन-छिन होगा माधुर्य्य सरसता देख-देख भूखा प्यासा तन-मन होगा क्षण भर की क्षुधा पिपासा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! जब विरही के आँगन में घिर सावन घन कड़क रहे होंगे जब मिलन-प्रतीक्षा में बैठे दृढ़ युगभुज फड़क रहे होंगे तब प्रथम-मिलन उत्कंठा में पथ भूल न जाना पथिक कहीं! जब मृदुल हथेली गुंफन कर भुज वल्लरियाँ बन जाएँगी जब नव-कलिका-सी अधर पँखुरियाँ भी संपुट कर जाएँगी तब ...