ASHOKKOHALIMAHAWAR

अशोकध्वज:❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤अशोकादर्श: 20-10-2022 कृतसंकल्प रात मे टूटा ता तारा देखा मेरे जैसा था। चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिल्कुल तेरे जैसा था ॥ सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुये थे हम। किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलाने के लिये ॥ कुछ ना कुछ बोलते रहो हमसे। चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे ॥ लोग तरसते हे ऐसी मोहब्बत के लिये जैसी हम आपसे करते हे। अब मैने भी कलम रखना सीख लिया हे यारों। जिस दिन कोई भी कहेगा कि "हम तुम्हारे हे" - दस्तख़त करवा लेंगे ॥ 'तुम' अगर जानना चाहते हो कि मेरे दिल मे कौन हे तो पहला लफ्ज दोबारा पढ़ लो ॥ तुम पूछते ही नहीं परेशानी की वहज,, कुछ इस वजह से भी परेशान हूँ मैं ...,, जिसने चोट न खाई हो--,,, वो चेहरा क्या पहचानेगा ...॥ दिल का दर्द तो यारो कोई दिलवाला ही जानेगा ॥ माँ के पेट से नहीं सीखा ये हुनर यारों बस तुम्हारी तुम्हारी दुआओं का असर हे॥ किस कदर मोहब्बत का जुनून इस दीवाने मे हे। कल ही जमानत हुई आज फिर थाने मे हे ॥ शब्दों को अधरों पर रखकर दिल के भेद ना खोलो। मैं आंखों से ही सुन सकता हूँ तुम आंखों से ही बोलो ॥ ...